इस अहम् की उलझी सी गांठें तो खोलो,
आखिर अब तुम दो बोल तो मीठे बोलो,
बात मानो,सारी कड़वाहट धुल जायेगी,
निज भावों में अपनेपन के शब्द तो घोलो।
जीवन तो बस कुछ ही दिनों का मेला है,
मिलते-बिछड़ते हुए रिश्तों का रेला है,
क्रोध,सुख,आस,अपनत्व,पीड़ा,अहसास ,
इच्छाओं की कभी न बुझने वाली प्यास।
जग में जो आया,कुछ खोया- कुछ पाया,
है जन्मा गर कोई, मृत्यु कौन रोक पाया ?
पर देखा जाए सत्य, तो यही तो संसार है,
जन्म से पूर्व और मृत्यु बाद का क्या सार है ?
यहीं पे बने रिश्ते और यहीं मिला प्यार है,
यहीं परिजनों संग बांटा जीवन का भार है,
गर नहीं होते ये सब तो तुम कैसे जी पाते ?
दिन-दिन रोते और रातों-रातों छटपटाते।
बात मान लो मेरी,वरना तुम टूट जाओगे,
चुप्पी तो तोड़ो,अन्यथा कठोर कहलाओगे,
मुस्कुराहट से अपनी,दिल के घाव धो लो,
निज भावों में अपनेपन के शब्द तो घोलो ।
अपने मन के अहम् की उलझन तो खोलो,
के हठ छोड़ो और दो बोल तो मीठे बोलो,
बात मानो ये सारी कड़वाहट धुल जायेगी,
निज भावों में अपनेपन के शब्द तो घोलो।
- जयश्री वर्मा
- जयश्री वर्मा
ATI SUNDER.....!!!!
ReplyDeleteValentine Day Roses
ReplyDelete