के आंखों में तमाम सारे,ख्वाब झिलमिलाए हैं,
जी गया हूँ,नई जिंदगी,इन्ही चंद लम्हों में मैं ,
आप मेरे वज़ूद पे जैसे बहार बन के छाए हैं ।
चलिए! न कुबूल करें आप,तो कोई बात नहीं ,
पर नज़रों का उठना-झुकना,भी तो झूठ नहीं ,
ठिठकना नज़रों का मुझ पर,फिर लजा जाना ,
अनजानी डोर से मुझ संग,यूँ बंधते चले जाना ।
ठिठकना नज़रों का मुझ पर,फिर लजा जाना ,
अनजानी डोर से मुझ संग,यूँ बंधते चले जाना ।
पास से मेरे बार-बार,इठला के गुज़र जाना ,
खिलखिलाहटों में रस घोल के,बातें बनाना ,
हम भी सब जानते हैं पर,सब्र किये रहते है ,
के आपके इकरार का,इंतज़ार किये बैठे हैं।
ऐसी तो कोई रात नहीं,जिसका सवेरा न हो ,
प्रेम के सिलसिले में,ख्वाबों का बसेरा न हो,
कि देखो तो शाम,कुछ मीठा सा कह रही है ,
रात भी हौले-हौले से,जज़्बातों में बह रही है।
काश के हम मिलके,अपनी नई दास्तान बनाएं ,
इस महकते से मौसम का,नया गीत गुनगुनाएं ,
और लगन अपने दिल की,इक-दूजे को सुनाएं ,
यूँ वक्त से लम्हे चुरा के,नया अफसाना बनाएं।
- जयश्री वर्मा
अफसाना तो बन रहा है ....... बहुत खूब
ReplyDeleteसादर धन्यवाद आपका संगीता स्वरुप जी !🙏 😊
Deleteकाश के हम मिलके,अपनी नई दास्तान बनाएं ,
ReplyDeleteइस महकते से मौसम का,नया गीत गुनगुनाएं ,
और लगन अपने दिल की,इक-दूजे को सुनाएं ,
यूँ वक्त से लम्हे चुरा के,नया अफसाना बनाएं
–वाह बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति
सादर धन्यवाद आपका विभा रानी श्रीवास्तव जी !🙏 😊
Deleteमेरी रचना " नया अफ़साना " को पाँच लिंकों का आनंद में स्थान देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद पम्मी सिंह 'तृप्ति' जी !🙏 😊
ReplyDeleteक्या खूब लिखा है
ReplyDeleteसादर धन्यवाद आपका पायल पटेल जी !🙏 😊
ReplyDeleteसादर धन्यवाद आपका जी !🙏 😊
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