बातों की क्या कहिये,बातों का है अनंत-अथाह संसार,
जन्म से मृत्यु तक शब्दों से ही,बंधा है जीने का आधार।
ये बातें तोतली ज़ुबान-मा,पा,डा से,शुरू जो होती हैं तो,
बुढ़ापे की बेचैन,अनमनी बुदबुदाहट पर ही,ठहरती हैं।
हर किसी के जीवन के,हर पहलू की,पहचान हैं ये बातें,
प्रेममयी,कभी तीखी और कभी चुगलखोर,भी हैं ये बातें।
ये स्कूल में,कालेज में,दफ्तरों में,शिकायत रूप बसती हैं,
यहाँ बस मेहनत और ज़िम्मेदारी की,पहचान हैं ये बातें।
ऑटो में,बस,ट्रेन,पार्कों और,किसी भी टिकट विंडो पर,
औपचारिक सी,अनजान सी और मेहमान सी हैं ये बातें।
अस्पताल में,कचहरी,थाने या के दैवीय प्रकोप के आगे,
बेबस सी,सहमी हुई,आंसू संग,सिसकती हुई हैं ये बातें।
जीत की ख़ुशी भरी ठिठोली हो,या महफ़िलें सजीली हों,
तो उत्साह,उमंग में बहकती सी,खिलखिलाती हैं ये बातें।
पार्कों के झुरमुटों में,एकांत या दरवाजों और पर्दों के पीछे,
फुसफुसाती,लजाती,प्रेम के आवेग की परवान हैं ये बातें।
बातों के बादलों से ढंका,इंसान का ये जीवन आसमान है,
जोड़ती हैं कभी रिश्ते,सुलझाती-उलझाती भी हैं ये बातें।
उस परवरदिगार से जब भी,किसी को संपर्क साधना हो,
गीता,कुरआन,बाइबिल या गुरुग्रंथ में,समाधान हैं ये बातें।
- जयश्री वर्मा
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 08 सितंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDelete"सांध्य दैनिक मुखरित मौन में " मेरी कविता " ये बातें " को स्थान देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद दिव्या अग्रवाल जी ! 🙏 😊
Deleteसादर धन्यवाद आपका सुशील कुमार जोशी जी !🙏 😊
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 9 सितंबर 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteमेरी रचना " ये बातें " को पाँच लिंकों का आनंद में स्थान देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद पम्मी सिंह 'तृप्ति' जी !🙏 😊
Deleteवाह!खूबसूरत सृजन ।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद आपका शुभा जी !🙏 😊
Deleteवाह बहुत खूब।
ReplyDeleteसादर अभिवादन आपका !🙏😊
Deleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 10.9.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी|
ReplyDeleteधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
मेरी कविता " ये बातें "को चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए सादर धन्यवाद आपका दिलबागसिंह विर्क जी!🙏 😊
Deleteसादर अभिवादन आपका !🙏😊
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा जयश्री जी, बातें ही हैं कि जो आदमी को आदमी बने रहने देती हैं और ... इस तरह
ReplyDeleteऑटो में,बस,ट्रेन,पार्कों और,किसी भी टिकट विंडो पर,
औपचारिक सी,अनजान सी और मेहमान सी हैं ये बातें।
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद अलकनंदा सिंह जी !🙏 😊
Deleteबहुत सुंदर सृजन! ये बातें जो कई दफा अच्छे और की दफा कुछ नकारात्मक परिणाम भी लाती है।
ReplyDeleteबहुत सुंदर।
सादर अभिवादन आपका !🙏😊
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ReplyDeleteसुंदर सृजन
ReplyDeleteसादर धन्यवाद आपका संदीप कुमार शर्मा जी !🙏 😊
ReplyDeleteबातों को यूं शब्द देना आपकी कलम ही कर सकती है ..आभार ।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद आपका संजय भास्कर जी !🙏 😊
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