Thursday, February 25, 2021

सुखद एहसास


शब्दों का रह-रह कर के,यूँ बातों में बदलना,
यहाँ-वहाँ,दुनिया-जहान की,बातों का कहना,
यूँही शब्द-शब्द चुनना,और बात-बात बुनना,
तुम संग तुममें ढलना,इक सुखद एहसास है।

मंजिलों की राहें हैं,बड़ी ही उलझी-उलझी सी,
के कभी लगें बोझिल,तो कभी लगें सुलझी सी,
कदम-कदम साथ हो,संग गुँथे हाथों में हाथ हो,
तुम संग यूँ ही टहलना,इक सुखद एहसास है।

वर्षा की मधुर रिमझिम,कली-कली का जगना,
फूल-फूल महकना,और यूँ बगिया का सँवारना,
आना-जाना मौसमों का,क्षितिज का ये मिलना,
तुम संग ये सब देखना,इक सुखद एहसास है।

नदियों का मचलना,सागर में जाकर के मिलना,
चाँद-तारों भरी ये रातें,साँझों का थक के ढलना,
आकाश का अनंत प्यार,धरा पे खिलके पलना,
तुम संग ये सब समझना,इक सुखद एहसास है।

पंछियों के लौटते झुण्ड,दीप-बाती की सार्थकता,
साँसों के ये गीत-राग,और जीवन की ये मधुरता,
प्रेम की मिठास से भरा,छलकता सा प्रेम प्याला,
तुम संग यूँ घूँट-घूँट पीना,इक सुखद अहसास है।

असंख्यों की भीड़ बीच,यूँ तुम्हारा मुझसे मिलना,
स्वप्न,प्रेम,ललक,तृप्ति का,अटूट ये बंधन बनना,
उस अदृश्य शक्ति समक्ष,जिसने जहान बनाया है,
तुम संग यूँ नतमस्तक होना,इक सुखद एहसास है।

                                                                - जयश्री वर्मा

16 comments:

  1. सादर धन्यवाद आपका दिग्विजय अग्रवाल जी !🙏 😊

    ReplyDelete
  2. सुंदर कोमल श्रृंगार भाव अभिनव सृजन।

    ReplyDelete
    Replies
    1. सादर धन्यवाद आपका !🙏 😊

      Delete
  3. वाह
    बहुत सुंदर सृजन
    बधाई

    ReplyDelete
    Replies
    1. सादर धन्यवाद आपका ज्योति खरे जी !🙏 😊

      Delete
  4. आग्रह है मेरे ब्लॉग को भी फॉलो करें

    ReplyDelete
  5. सबसे अलग सा ही लिखती हैं आप.....बहुत ही बढि़या

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आपका संजय भास्कर जी !🙏 😊

      Delete
  6. भावों से भरी सुंदर रचना जय श्री जी। हार्दिक शुभकामनाएं🙏🙏

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक अभिवादन आपका रेणु जी !🙏😊

      Delete
  7. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद Onkar जी !🙏 😊

    ReplyDelete
  8. सादर आभार आपका गगन शर्मा जी !🙏😊

    ReplyDelete
  9. Replies
    1. बहुत-बहुत धन्यवाद संगीता स्वरुप जी!🙏 😊

      Delete