Tuesday, August 18, 2020

जो उनकी याद आई

 
आज जो उनकी याद आई,तो आती चली गई 
शाम ख़्वाबों की बदरी छाई,तो छाती चली गई।
 
वो मुस्कुराना आँखों में,बहक जाना बातों में , 
और झूठ पकड़े जाने पे,मुँह छुपाना हाथों से ,
उंगली के इशारे से,दिखाना कोई सुर्ख फूल ,
फिर बालों में सजा लेने की,अदा भी थी खूब। 

आज जो उनकी याद आई,तो आती चली गई 
शाम ख़्वाबों की बदरी छाई,तो छाती चली गई।  

चुपके से आकर पीछे से,आवाज़ देना ज़ोरों से ,
यूँ ही लड़खड़ा के टकराना,सीधे-साधे मोड़ों पे ,
फिर उफ़ कह के सम्हलना,वो शरारतें उनकी ,  
प्रेम की दरकार थी,मैं समझा न उनके मन की।   

आज जो उनकी याद आई,तो आती चली गई ,
शाम ख़्वाबों की बदरी छाई,तो छाती चली गई।

आज की शाम बहुत दूर हूँ,उनके शहर से मैं ,
के उनके बिना खुद को,अधूरा महसूसता हूँ मैं , 
संग-साथ रहते हुए,पता चलती नहीं करीबियां , 
दूर होके खटकती हैं,ये चाहतों की मजबूरियाँ।     

आज जो उनकी याद आई,तो आती चली गई ,
शाम ख़्वाबों की बदरी छाई,तो छाती चली गई। 
 
पता न चला वो दिल के,कैसे इतने करीब हुए ,
बढ़ी नज़दीकियाँ इतनी कि,वो मेरे नसीब हुए ,
इंतज़ार है कि ये घड़ियाँ,जल्दी से गुज़र जाएं ,
और हम अपना हालेदिल उनको जाके सुनाएं। 
 
आज जो उनकी याद आई,तो आती चली गई ,
शाम ख़्वाबों की बदरी छाई,तो छाती चली गई। 

                                              - जयश्री वर्मा
 
 
 


11 comments:

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आपका सुशील कुमार जोशी जी !🙏 😊

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    1. आपका सादर धन्यवाद विश्वमोहन जी !🙏 😊

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  3. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 26 अगस्त 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. पाँच लिंकों का आनंद में स्थान देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद पम्मी सिंह 'तृप्ति' जी !🙏 😊

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  4. संग-साथ रहते हुए,पता चलती नहीं करीबियां ,
    दूर होके खटकती हैं,ये चाहतों की मजबूरियाँ।
    बहुत सटीक सुन्दर एवं सार्थक...
    लाजवाब सृजन
    वाह!!!

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    1. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद सुधा देवरानी जी।🙏 😊

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  5. बहुत बहुत मधुर रचना

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    1. सादर धन्यवाद आपका आलोक सिन्हा जी !🙏 😊

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