सच्चाई,सुकून,भरोसा,ये जीवन की खुश्बुएं हैं,
किसी से गर जो मिले,तो उसे भुलाते नहीं हैं,
ख्वाबों में जो खोया निश्छल,मुस्कुरा रहा हो,
ऐसी नींद से,उसको कभी भी,जगाते नहीं हैं।
जो कोई रात-रात जागा हो,इंतज़ार में तुम्हारी,
उससे मुख मोड़के,कभी भी कहीं जाते नहीं हैं,
जिसकी हँसी में,बसी हों,सारी खुशियाँ तुम्हारी,
उसके माथे पे,शिकन कभी भी,बनाते नहीं हैं।
जो साया बनकर आया हो,जन्म भर के वास्ते,
दोष उसके,कभी भी किसी से,गिनाते नहीं हैं ,
तुम्हारे घर की इज़्ज़त,तुम्हारी ही तो पहचान है,
सड़क पे उसकी बात कभी भी,लाते नहीं हैं ।
धोखा,झूठ और फरेब,जीवन के कलंक ही हैं,
प्रेम की नाव को मझधार कभी,डुबाते नहीं हैं ,
के गलत काम करने से पहले,सोचना कई बार ,
इंसानियत को कभी भी,दागदार बनाते नहीं हैं।
गम को भले ही भुला देना,काली रात जान के,
ख़ुशी के,उजले-लम्हे कभी भी,भुलाते नहीं हैं,
के दोस्ती के नाम,जो हाजिर हो,हर वक्त पर,
ऐसे रिश्ते में,शक़ की दीवार,यूँ उठाते नहीं हैं।
सुख-दुःख के दिन-रात तो,आते-जाते ही रहेंगे,
कभी हिम्मत नहीं हारते,कभी घबड़ाते नहीं हैं,
के तमाम ज़ख्म दिए हों,जिन रिश्तों ने बार-बार,
उन रिश्तों को गाँठ जोड़-जोड़,चलाते नहीं है।
( जयश्री वर्मा )
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 30.5.19 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3351 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
सादर धन्यवाद आपका दिलबाग विर्क जी !🙏 😊
Deleteआपकी लिखी रचना "साप्ताहिक मुखरित मौन में" शनिवार 1 जून 2019 को साझा की गई है......... "साप्ताहिक मुखरित मौन" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद आपका मीना भारद्वाज जी !🙏 😊
Deleteआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन हिन्दी के पहले समाचार-पत्र 'उदन्त मार्तण्ड' की स्मृति में ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
ReplyDeleteसादर धन्यवाद आपका कुमारेन्द्र सिंह सेंगर जी !🙏 😊
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (01 -06-2019) को "तम्बाकू दो छोड़" (चर्चा अंक- 3353) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
बहुत बहुत धन्यवाद आपका अनीता सैनी जी !🙏 😊
Deleteतुम्हारे घर की इज़्ज़त,तुम्हारी ही तो पहचान है,
ReplyDeleteसड़क पे उसकी बात कभी भी,लाते नहीं हैं ।
सार्थक रचना
सादर धन्यवाद आपका एम.वर्मा जी !🙏 😊
Deleteतुम्हारे घर की इज़्ज़त,तुम्हारी ही तो पहचान है,
ReplyDeleteसड़क पे उसकी बात कभी भी,लाते नहीं हैं ।
सार्थक रचना
🙏 😊
Deleteबेहतरीन रचना
ReplyDeleteआभार आपका अनुराधा चौहान जी !🙏 😊
Deleteहर छंद कुछ नया कहता हुआ ... जीवन के अनुभव को धब्दों में उतारा है ...
ReplyDeleteलाजवाब लिखा है ...
सादर धन्यवाद आपका दिगंबर नासवा जी !🙏 😊
Deleteसादर धन्यवाद आपका 🙏 😊
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