कलियाँ अंगड़ाई भर-भर के मोहक रूप रख रहीं ,
फूलों की रंगीन सी छटा जैसे हर दृष्टि परख रही ,
खुशबू मनभावन सी भीनी-भीनी सी है बिखर रही ,
आखिर इन भवरों ने कलियों से कुछ तो कहा है।
हरियाली का जादू बिखेर देखो धरा श्रृंगार कर रही ,
पतझड़ की उदासीनता त्याग आँचल रंग भर रही ,
समृद्धि से भरी-भरी सी नव जीवनों को संवार रही ,
आखिर नीले एम्बर ने इस धरा से कुछ तो कहा है।
मेघों का अथक प्रयास है बूँदें वर्षा बन के झर रहीं ,
महीन-महीन धाराएं देखो नदियां बनके मचल रहीं ,
कल-कल के सुर सजीले सजा के राग नए गुन रहीं ,
आखिर इस बदरिया से सागर ने कुछ तो कहा है।
केश काले उलझ-उलझ,उड़ चेहरे को हैं छेड़ रहे ,
बिंदिया,झुमके,कंगन,पायल यूँ शोर-जोर कर रहे ,
पलकें हैं झुकी-झुकी और मुखर शब्द क्यों मौन हैं ,
आखिर तो प्रियतम ने प्रिया से कुछ तो कहा है।
क्यों ऐसा लगे है सब तरफ जैसे साजिशें हजार हैं ,
चारों तरफ से घेर रही हो जैसे बहकी सी बयार है ,
मौसमों की हलचल में जैसे फितूर ही सा सवार है ,
सृष्टिकर्त्ता ने जैसे जवाँ दिलों से कुछ तो कहा है।
( जयश्री वर्मा )
फूलों की रंगीन सी छटा जैसे हर दृष्टि परख रही ,
खुशबू मनभावन सी भीनी-भीनी सी है बिखर रही ,
आखिर इन भवरों ने कलियों से कुछ तो कहा है।
हरियाली का जादू बिखेर देखो धरा श्रृंगार कर रही ,
पतझड़ की उदासीनता त्याग आँचल रंग भर रही ,
समृद्धि से भरी-भरी सी नव जीवनों को संवार रही ,
आखिर नीले एम्बर ने इस धरा से कुछ तो कहा है।
मेघों का अथक प्रयास है बूँदें वर्षा बन के झर रहीं ,
महीन-महीन धाराएं देखो नदियां बनके मचल रहीं ,
कल-कल के सुर सजीले सजा के राग नए गुन रहीं ,
आखिर इस बदरिया से सागर ने कुछ तो कहा है।
केश काले उलझ-उलझ,उड़ चेहरे को हैं छेड़ रहे ,
बिंदिया,झुमके,कंगन,पायल यूँ शोर-जोर कर रहे ,
पलकें हैं झुकी-झुकी और मुखर शब्द क्यों मौन हैं ,
आखिर तो प्रियतम ने प्रिया से कुछ तो कहा है।
क्यों ऐसा लगे है सब तरफ जैसे साजिशें हजार हैं ,
चारों तरफ से घेर रही हो जैसे बहकी सी बयार है ,
मौसमों की हलचल में जैसे फितूर ही सा सवार है ,
सृष्टिकर्त्ता ने जैसे जवाँ दिलों से कुछ तो कहा है।
( जयश्री वर्मा )
अति सुन्दर भावों का संचार करती अच्छी रचना।
ReplyDeleteबहुत-बहुत शुक्रिया अज़ीज़ जौनपुरी जी !
Deleteसुंदर भाव ..उत्कृष्ट अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसादर धन्यवाद मोहन सेठी जी!
DeleteBeautiful..:)
ReplyDeleteबहुत - बहुत धन्यवाद आपका R Vyas जी !
Deleteआज 07/ फरवरी /2015 को आपकी पोस्ट का लिंक है http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद!
सादर आभार यशवंत यश जी !
Deleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत - बहुत धन्यवाद आपका ओंकार जी !
Deleteबहुत सुन्दर रचना सीधे दिल में उतर जाने वाली
ReplyDeleteसादर धन्यवाद संजय भास्कर जी !
Deleteबहुत ही सुंदर रचना प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद।
ReplyDeleteइस हौसलाफजाई के लिए आपका धन्यवाद कहकशां खान जी !
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