ये पवन की सरसराहट,ये अजब जीवन की गुनगुनाहट ,
जगत-निर्माण से अब तक की ये रहस्यमयी सी आहट ,
सब जीवों में रह रही है,ये मुझमें तुममें भी तो बह रही है ,
हमारी कहानी सदियों से है एक,कुछ ऐसा ही कह रही है ,
हमारी धड़कनें अलग जिस्म,पर एक साथ चल रही हैं।
तुम सुन रहे हो न?
हमारी साँसें एक हो,एक रिदम में,एक साथ ढल रही हैं।
ये चाँद तारों से भरी सजीली-सुखद रात को तो देखो ज़रा ,
इसने बना दिया है मेरे बेरौनक से ख़्वाबों को भी सुनहरा ,
कोई न कोई मीठा स्वप्न पलकों में मेरी पलता रहता है ,
रात के गहराने के साथ भविष्य के लिए ढलता रहता है ,
रातें जगा रही हैं,मेरी और तुम्हारी तन्द्रा को बता रहीं हैं ,
तुम सुन रहे हो न?
ये हमारी मंजिल को इंगित कर इक नई राह दिखा रहीं हैं।
हमारी मुस्कराहट का एक दूसरे को देख रहस्यमयी होना ,
इन प्यार भरे अमूल्य लम्हों को तुम भूल कर भी न खोना ,
देखो हम मनुष्य हैं,हमें सामाजिक बंधनों के संग है जीना ,
बावजूद इसके भी,आसान नहीं इक दूजे का होकर के रहना ,
कुछ वादे हैं,कुछ कसमें हैं,संग-साथ में जीने-मरने के लिए ,
तुम सुन रहे हो न?
ये हमें समझा रहें हैं कुछ मायने गूढ़ साथ चलने के लिए।
सफल तो वही जो हर उतार-चढ़ाव के अमृत-गरल को पी ले ,
कैसा भी आये वक्त घबड़ाए न कभी और हर लम्हे को जी ले ,
तभी पहचान बनेगी हमारे जीवन की सफलता की कहानी की,
वर्ना तो कहानी है आंसुओं में खोई हुई गुमनाम ज़िंदगानी की ,
इस बंधन के धागे जितने पक्के हैं सुना है उतने ही कच्चे हैं ,
तुम सुन रहे हो न?
ये धागे अपनत्व भरे भाव से हमें बनाने सतरंगी और सच्चे हैं।
मैं तो हर आते पल,हर क्षण बस प्रिय सिर्फ तुम्हारी ही रहूंगी,
अपनी उठती गिरती हर सांस के संग विश्वाश से भर कहूँगी,
कि इस जन्म और जीवन पर हक़ सिर्फ और सिर्फ तुम्हारा है,
तुम्हारे हर बढ़े हुए कदम के संग मेरे हर कदम का सहारा है,
मैंने तो स्वयं के लिए तुम्हारे सिवा है नहीं चुना कोई विकल्प,
तुम सुन रहे हो न?
तुम भी चुन रहे हो न!संग हाथ थाम साथ चलने का संकल्प।
जयश्री वर्मा
जगत-निर्माण से अब तक की ये रहस्यमयी सी आहट ,
सब जीवों में रह रही है,ये मुझमें तुममें भी तो बह रही है ,
हमारी कहानी सदियों से है एक,कुछ ऐसा ही कह रही है ,
हमारी धड़कनें अलग जिस्म,पर एक साथ चल रही हैं।
तुम सुन रहे हो न?
हमारी साँसें एक हो,एक रिदम में,एक साथ ढल रही हैं।
ये चाँद तारों से भरी सजीली-सुखद रात को तो देखो ज़रा ,
इसने बना दिया है मेरे बेरौनक से ख़्वाबों को भी सुनहरा ,
कोई न कोई मीठा स्वप्न पलकों में मेरी पलता रहता है ,
रात के गहराने के साथ भविष्य के लिए ढलता रहता है ,
रातें जगा रही हैं,मेरी और तुम्हारी तन्द्रा को बता रहीं हैं ,
तुम सुन रहे हो न?
ये हमारी मंजिल को इंगित कर इक नई राह दिखा रहीं हैं।
हमारी मुस्कराहट का एक दूसरे को देख रहस्यमयी होना ,
इन प्यार भरे अमूल्य लम्हों को तुम भूल कर भी न खोना ,
देखो हम मनुष्य हैं,हमें सामाजिक बंधनों के संग है जीना ,
बावजूद इसके भी,आसान नहीं इक दूजे का होकर के रहना ,
कुछ वादे हैं,कुछ कसमें हैं,संग-साथ में जीने-मरने के लिए ,
तुम सुन रहे हो न?
ये हमें समझा रहें हैं कुछ मायने गूढ़ साथ चलने के लिए।
सफल तो वही जो हर उतार-चढ़ाव के अमृत-गरल को पी ले ,
कैसा भी आये वक्त घबड़ाए न कभी और हर लम्हे को जी ले ,
तभी पहचान बनेगी हमारे जीवन की सफलता की कहानी की,
वर्ना तो कहानी है आंसुओं में खोई हुई गुमनाम ज़िंदगानी की ,
इस बंधन के धागे जितने पक्के हैं सुना है उतने ही कच्चे हैं ,
तुम सुन रहे हो न?
ये धागे अपनत्व भरे भाव से हमें बनाने सतरंगी और सच्चे हैं।
मैं तो हर आते पल,हर क्षण बस प्रिय सिर्फ तुम्हारी ही रहूंगी,
अपनी उठती गिरती हर सांस के संग विश्वाश से भर कहूँगी,
कि इस जन्म और जीवन पर हक़ सिर्फ और सिर्फ तुम्हारा है,
तुम्हारे हर बढ़े हुए कदम के संग मेरे हर कदम का सहारा है,
मैंने तो स्वयं के लिए तुम्हारे सिवा है नहीं चुना कोई विकल्प,
तुम सुन रहे हो न?
तुम भी चुन रहे हो न!संग हाथ थाम साथ चलने का संकल्प।
जयश्री वर्मा
तुम सुन रहे हो न...... सुन्दर अभिव्यक्ति! आदरणीया जयश्री जी!
ReplyDeleteधरती की गोद
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद संजय कुमार गर्ग जी!
DeleteBahut sunder ahsaaso me dhali rachna...... Badhayi...
ReplyDeleteबहुत-बहुत शुक्रिया आपका Pari M Shlok जी!
Deletebahut hi badhiya
ReplyDeleteधन्यवाद आपका अनुषा मिश्रा जी!
Deleteअत्यंत भावपूर्ण एवं सुन्दर प्रस्तुति ! बहुत खूब !
ReplyDeleteसादर धन्यवाद साधना जी!
Deleteआज 22/जनवरी/2015 को आपकी पोस्ट का लिंक है http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद!
सादर आभार आपका यशवंत यश जी !
Deleteप्यार में समर्पण भाव लिए सुन्दर रचना ...
ReplyDeleteआपका बहुत - बहुत धन्यवाद कविता रावत जी !
Deleteमन के भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने...
ReplyDeleteमेरी रचना पर आपकी टिप्पणी के लिए आपका धन्यवाद सुषमा 'आहुति' जी!
Deleteभावपूर्ण ... प्रेम रंग से पगी अभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteआपकी बहुमूल्य टिप्पणी के लिए धन्यवाद आपकाDigamber Naswa जी !
Deleteप्रेम रंग से पगी कविता ने मन को बाँध लिया .. क्या खूब लिखा है .. अंतिम पंक्तियों ने जादू कर दिया है !!
ReplyDeleteसुंदर प्रतिक्रिया के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद संजय भास्कर जी !
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