Wednesday, August 13, 2014

मैं हूँ युग युवा

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
मैं हूँ युग युवा,नित नयी लगन लगा,नव राहों पे बढ़ता जा हूँ,
शिक्षा की सीढ़ी,हौसलों के साथ,हर ऊँचाइयाँ चढ़ता जा  हूँ। 

राह में अनेक देवालय,मस्जिद,गिरजाघर और गुरूद्वारे मिले,
उन्हें शीश झुकाके,अंतर हृदय से,नमन मैं करता जा रहा हूँ। 

सभी ग्रंथों की शिक्षा,कुरान,बाइबिल,गुरुग्रंथ या पवित्र गीता,
उनकी सीख,सर-आँखों पे रख,मन ही मन गुनता जा रहा हूँ। 

अनेकता संग एकता में बसी,भारत की सुन्दर भिन्न संस्कृति, 
दोनों हाथों से अंगीकार कर,अंतर्मन से समझता जा रहा हूँ।

मैं भारत की नव तकदीर,मेरे लिए हर भारतीय एक सामान,
मैं मानवता का बीज लिए,हर जन के मन में रोपता जा रहा हूँ।

मुझे कहीं अन्यत्र न ढूंढो,मैं हर जागरूक सोच में बसा हुआ,
नव विकास की मशाल जला,ये राहें रौशन करता जा रहा हूँ। 

मैं इस हिन्दुस्तान का निर्भय युवा,मुझे बाधाओं से कैसा डर,
अपने इतिहास को धरोहर बना,नव भविष्य गढ़ता जा रहा हूँ।

मैं हूँ भारत की सच्ची तस्वीर,संसार पटल पर,अमरता लिख, 
आकाश-चाँद मुठ्ठी में बाँध,मंगल की जमीन छूने जा रहा हूँ।

मैं विकसित विचार,मैं हूँ युग युवा,उत्सुकता और हौसलों संग,
अपनी भारत माँ के आँचल के,नित नव सूत बुनता जा रहा हूँ।

                                                                 - जयश्री वर्मा



7 comments:

  1. Replies
    1. बहुत - बहुत धन्यवाद सुशील कुमार जोशी जी !

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  2. बहुत ही बढ़िया

    स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ !

    सादर

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    1. बहुत - बहुत धन्यवाद आपका यशवंत यश जी !

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  3. बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति
    एक-एक पंक्ति लाजवाब।।।

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    1. बहुत - बहुत शुक्रिया आपका अनुषा मिश्रा जी !

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