ये चेहरे अलग-अलग से हैंं दिखते,
पर अपने तो इनमें कोई न लगते,
ये मोदी,राहुल,माया,केजरीवाल हैं,
ये पार्टियां वादों की घालमघाल हैं,
वो बोलें कि हम यह सब कर देंगे,
ये कहें नहीं हम ही अब सत्ता लेंगे,
इसको भी देखा और उसको जाना,
बंधु!सब सामान हैं,सब सामान हैं।
पुरानी पार्टियां तो हनक में रहतीं,
नवजात पार्टियां झाँक के कहतीं,
हम ही हैं इस भारत के कर्णधार,
अब हम करेंगे देश का बेड़ा पार,
भले राजनीति में कुछ भी न जानें,
पर पूरे देश उद्धार को सीना तानें,
इस कुर्सी वजूद की हाथा-पाई में,
बंधु!सब समान हैं,सब समान हैं।
बातें सबकी बस चिकनी-चुपड़ी,
कितनी ही बार तो हमने पकड़ीं,
कई घपले-घोटालों में ये फँसते,
ठेंगा जनता को दिखाकर हँसते,
ये कुर्सी हथियाते ही देश को भूलें,
ये सत्ता-सुख के मधुर झूले झूलें,
गर अंदर से इनको झाँक के देखो,
बंधु!सब समान हैं,सब समान हैं।
इक पार्टी से तो जनता अब डरती,
दूजी सब संवारने की हामी भरती,
कुछ गठबंधन की गाँठ से बंधी हैं,
सबमें गामा-कुश्ती सी ठनी हुई है,
वोट हाथ में लेकर असमंजस में,
ये जनता बेचारी अनमनी खड़ी है,
ये झूठा है या वो नेता सच्चा था ?
बंधु!सब समान हैं,सब समान हैं।
पर तुम अपना अधिकार न खोना,
बाद पार्टियों का फिर रोना न रोना,
जाना जरूर पोलिंग बूथ को जाना,
मतदान है हक़ ताल ठोंक जताना,
वोट है नागरिक होने का अधिकार,
आगे कौन जीता और किसकी हार,
हम हों जागरूक तो यह देश बचेगा,
वर्ना बंधु!सब समान हैं,सब समान हैं।
पर यह कटु सत्य हर कोई ही जानें,
भ्रष्टाचार,महंगाई की महिमा मानें,
जनता ही पिसती और मरती रहती,
नेताओं को कोस-कोस के वो कहती,
तुम्हारा वादा और दावा कहाँ गया ?
देश में क्या होना था क्या हो गया ?
कोई नहीं इस देश,जनता का मीत,
बंधु!ये सब समान हैं,सब समान हैं।
- जयश्री वर्मा
बाद पार्टियों का फिर रोना न रोना,
जाना जरूर पोलिंग बूथ को जाना,
मतदान है हक़ ताल ठोंक जताना,
वोट है नागरिक होने का अधिकार,
आगे कौन जीता और किसकी हार,
हम हों जागरूक तो यह देश बचेगा,
वर्ना बंधु!सब समान हैं,सब समान हैं।
पर यह कटु सत्य हर कोई ही जानें,
भ्रष्टाचार,महंगाई की महिमा मानें,
जनता ही पिसती और मरती रहती,
नेताओं को कोस-कोस के वो कहती,
तुम्हारा वादा और दावा कहाँ गया ?
देश में क्या होना था क्या हो गया ?
कोई नहीं इस देश,जनता का मीत,
बंधु!ये सब समान हैं,सब समान हैं।
- जयश्री वर्मा
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (11.04.2014) को "शब्द कोई व्यापार नही है" (चर्चा अंक-1579)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, वहाँ पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।
ReplyDeleteप्रतिष्ठा में , राजेंद्र कुमार जी , मेरी इस रचना को उत्कृष्ट श्रेणी में रखने के लिए आपका बहुत - बहुत धन्यवाद।
Deleteमेरी इस रचना पर आपकी प्रतिक्रिया के लिए आपका बहुत - बहुत धन्यवाद रश्मि शर्मा जी !
ReplyDeleteसटीक रेखांकन .....
ReplyDeleteरचना पर विचार व्यक्त करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद डॉ. मोनिका शर्मा जी !
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