नज़रों से नज़रों को,मिलने तो दो,
दिल की कलियों को,खिलने तो दो ।
शामों को ख्यालों से,महकने तो दो,
रातों में ख्वाबों को,बहकने तो दो ।
इन हाथों को हाथों,संग जुड़ने तो दो,
इन क़दमों को एक राह,मुड़ने तो दो ।
सूरज की गर्मी को,पिघलने तो दो,
रात की ठंडक ज़रा,दहकने तो दो ।
अपने जीवन की नइया,खुलने तो दो,
जग की भूलभुलैया से,गुजरने तो दो ।
जमाने के बीच सवाल तो,उठेंगे जरूर,
इन अफसानों को,जवाबों में ढलने तो।
( जयश्री वर्मा )
दिल की कलियों को,खिलने तो दो ।
शामों को ख्यालों से,महकने तो दो,
रातों में ख्वाबों को,बहकने तो दो ।
इन हाथों को हाथों,संग जुड़ने तो दो,
इन क़दमों को एक राह,मुड़ने तो दो ।
सूरज की गर्मी को,पिघलने तो दो,
रात की ठंडक ज़रा,दहकने तो दो ।
अपने जीवन की नइया,खुलने तो दो,
जग की भूलभुलैया से,गुजरने तो दो ।
जमाने के बीच सवाल तो,उठेंगे जरूर,
इन अफसानों को,जवाबों में ढलने तो।
( जयश्री वर्मा )
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