Monday, May 1, 2017

अनजानी,अनदेखी कल्पना

स्वर्ग की कामना समाई है,हर किसी के मन में,
और दुखों से पार,पाना चाहते हैं,अपने जीवन के,
धाम दर्शन करके प्रभु के,द्वार जाने की चाह है,
सभी पूजास्थल,ऊपरवाले को मनाने की राह है,
हर कोई स्वर्ग का दिल से तलबगार है,
तो...
उसे पाने को तो मित्र मरना पड़ता है।

जीवन की तकलीफों को जो असामान्य मान बैठे हैं,
मानो सुबह शाम,रात दिन के बदलावों से ही रूठे हैं,
यही जन्म तो है सत्य,और सत्य इसकी ये कहानी,
परलोक तो है अनदेखा,इसकी कथा भी है अनजानी,
कर्मलोक को भूल तर्पण को क्यों हैं बेकल?
तो...
उसे पाने को तो मित्र मरना पड़ता है।

कोई नहीं है शख्श,धरा पे,जो कि मृत्यु को पाना चाहे,
अपना घरद्वार भूले,और भूलना चाहे,अपनी ये राहें,
तो फिर जो मिला है उसको,क्यूँ न जी भर कर जियें,
तो क्यूँ न इस जीवन का,हर स्वाद घूँट-घूँट कर पियें,
दुखों से भाग क्यों देव द्वार की है चाहत।
तो...
उसे पाने को तो मित्र मरना पड़ता है।

ये सुन्दर रंग समेटे प्रकृति,ये झरने और ये नदियां,
प्रेम में रचे बसे रिश्तों से परिपूर्ण जीवंत ये दुनिया,
सहेजे हुए सुख-दुःख से भरी परिवार की ये बगिया,
ये रिश्ते-नाते,संगी-साथी,ये सुबह-शाम,ये गलियां,
फिर देव लोक को,दिखते क्यों हैं विह्वल?
तो...
उसे पाने को तो मित्र मरना पड़ता है।

मृत्यु से लौट किसने,किसे स्वर्ग का राज़ बताया?
इह लोक त्यागने का,किसके मन ख़याल आया?
ये पतलून की क्रीज़,मैचिंग कपड़े और ये साड़ी,
ये घर-द्वार,ये हाट,ये पड़ोस-पड़ोसी ये पनवाड़ी,
ये क्रीम,लिपस्टिक,झगड़ा,रूठना,मान मनुहारी,
सावन का झूला,गीत और बच्चों की किलकारी,
इस धरती के रंग हज़ार,और खूबसूरत नर-नारी,
ये शोहरत,सलाम,ये कुर्सी की हनक की चिंगारी,
कोई भी मोह इसका,न छोड़ सका,न छोड़ सकेगा,
इस सच्चाई को त्याग,भला अनदेखी से जुड़ेगा?
स्वर्ग-नर्क तो यहीं है,जीवन जीना इक कायदा है,
यूँ अन्धकार में,भटकने का,कोई नहीं फायदा है,
ये रिश्ते नाते,ये उनका रूठना मनाना ही सच्चे हैं,
मित्रों-ये जीवन के सुख-दुःख के खेल ही अच्छे हैं,
ये जीवन है अनमोल,यूँ अन्धविश्वाश में न अटकें,
और अनजानी,अनदेखी कल्पनाओं में न भटकें।
क्यों कि-
स्वर्ग के लिये तो मित्र मारना पड़ता है।
                                           
                                                      ( जयश्री वर्मा )

6 comments:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 04-05-2017 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2627 में दिया जाएगा
    धन्यवाद

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    1. धन्यवाद आपका दिलबाग विर्क जी कविता को पसंद करने और चर्चा मंच में जगह देने के लिए।

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  2. Thanks for sharing such a excellent line
    Publish your book

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    1. धन्यवाद आपका Gatha Editor कविता पर अपने विचार व्यक्त करने के लिए !

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  3. स्वर्ग-नरक सबकुछ इसी जहाँ में हैं
    बिना मरे स्वर्ग किसी को नहीं मिलता

    बहुत सुन्दर

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    1. सादर बहुत-बहुत धन्यवाद आपका कविता रावत जी!

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