Friday, September 23, 2016

जल ही जीवन

जल के बिन किसी दशा में जीवन संभव नहीं हमारा,
जल संरक्षण ही अब रह गया जीवन का मात्र सहारा,
अन्धाधुन्ध जल दोहन से भविष्य बन रहा अंधियारा,
तब हाहाकार मचेगा जब,जल ही काल बनेगा हमारा।

जल,जंगल,जमीन स्थिति को गर हमने नहीं संवारा
डूबेगी सृष्टि उस सागर में जिसका कोइ नहीं किनारा
जलचर,थलचर,नभचर में ही है धरा का स्पंदन सारा
अंधाधुंध दोहन से बच पाएगा क्या ये संसार हमारा?

ये जीवन इसी लिए है क्योंकि धरती पर है जलनिधि,
इसे बचाने की कोशिश हमें करनी ही होगी हर विधि,
जल बिन तो यह धरती अपनी बन जाएगी शमशान,
शुष्क गृह कहलाएगी जीवन का न होगा नामोनिशान।

कठिन नहीं है बहुत सरल है जल संरक्षण का व्यवहार,
संरक्षण में चाहिए बस जागरूकता,ध्यान,ज्ञान-आधार,
जल क्षति बहुत हुई इसीसे,आज जल भी बना व्यापार,
जल के कारण ही है मिला हमें इस जीवन का उपहार।

जल जीवन है,जल औषधि है,जल सृष्टि और धरती है,
जल बर्बादी से आखिर जलनिधि की उम्र भी घटती है,
कुछ नियम हैं सीख सकें तो भविष्य भी सुरक्षित होगा,
जीवन सांस ले सकेगा तभी,जब जल संरक्षित होगा।

कुछ व्यवहार में लाने योग्य बातें....
जल संरक्षण होगा ......
जब घर का व्यर्थ जल गृह वाटिका के प्रयोग में आए,
जब टॉयलेट की फ्लश टंकी छोटे साइज़ की लगवाएं,
जब शेविंग समय नल की टोंटी लगातार खुली न छोड़ें,
घर की टपकती टोंटियों की तरफ अपना ध्यान मोड़ें।
जल संरक्षण होगा......
गर हम मुहीम छेड़ के बचे तालाबों को पाटने से रोकें,
जल संरक्षण होगा जब हम जंगल की कटान को रोकें,
जब अपनी सदानीरा नदियों को प्रदूषित होने से रोकें,
शासन-प्रशासन सक्रिय हो अपनी सारी ताकत झोंके।

उच्च शिक्षण तक जल संरक्षण अनिवार्य विषय बनाएं,
हर मानव अपने हिस्से का इक वृक्ष अपने हाथों लगाए,
जल ही जीवन इस स्लोगन का महत्व सभी को बताएं,
और जल संरक्षण की ये मशाल अगली पीढ़ी को थमाएं।

जल से पूर्ण धरती का सीमित जल ही है स्पंदन आधार,
ब्रह्माण्ड में हमें मिला इस जीवन का बहुमूल्य उपहार,
तो गर हम अपनी भावी पीढ़ी से करते हैं सचमें प्यार?
तो....
जल संरक्षण करके भविष्य पे करना होगा उपकार,
संरक्षण स्वयं ही होगा जब ये बन जाएगा व्यवहार।
                                            
                                                     (जयश्री वर्मा)

2 comments:

  1. सरलता से कही गहरी बात बहुत ही सशक्त प्रस्तुति :)
    बहुत दिनों बाद आना हुआ ब्लॉग पर प्रणाम स्वीकार करें

    ReplyDelete
  2. जी हाँ! संजय भास्कर जी मैं बहुत दिनों बाद ब्लॉग पर आई हूँ। बस यूँ ही। धन्यवाद कविता की सराहना के लिए।

    ReplyDelete