Wednesday, January 8, 2014

नववर्ष की भोर

वो देखो तो चीर कर अन्धकार घनघोर ,
थामे हांथों में चमकती किरणों कि डोर ,
दौड़ती आ रही लहरों के रथ पर  सवार,
बीती रात्रि को हरा आ रही नवेली भोर।

पंछी हँसते कर कलरव,किलोल,शोर ,
इस धरती का देखो झूम उठा मनमोर ,
पूरी सृष्टि को सूरज लाली में बोर-बोर ,
रंगती जाती हर पल,क्षण हर पोर-पोर।

थामें हुए हाथों में सूरज किरणों कि डोर ,
आती आलिंगन करने नववर्ष की भोर।
नव वर्ष में नव तरंग संग नए गीत हम गाएं,
नए वर्ष में नए विचार संग नए उत्थान हम लाएं। 


                                   ( जयश्री वर्मा )



मित्रों विलम्ब से ही सही मेरी तरफ से -
नव वर्ष आप सभी के लिए मंगलमय हो !!!
यह नव वर्ष आप सभी के लिए खुशियां,
उन्नति,संपन्नता और सुकून लेकर आए !!!

No comments:

Post a Comment