स्वतंत्र मेरे भारत देश की,स्वतंत्रता महान हो,
विश्व पटल पे मेरे देश की,ऊँचाइयाँ बखान हों ।
नई ऊंचाइयां गढ़ डालें,ऐसी बेटियाँ महान हों,
स्वप्न देख साकार करें,ऐसी बेटों की उड़ान हो ।
हरियाली धरती ओढ़े,कृषक कृषि से धनवान हो,
ख़ुशी से फले फूले परिवार,सभी का सम्मान हो ।
नदियाँ बल खाएं,छलकते सरोवरों से पहचान हों,
पशु,पक्षी,लताएँ,वृक्ष,वन सम्पदा की जान हों ।
हर कोई हो साक्षर समर्थ,जन-जन ज्ञानवान हो,
वीरों के बलिदान की,अमर कहानियाँ बयान हों ।
अनंत अंतरिक्ष की ऊंचाइयां चूमें,ऐसे हमारे यान हों,
देश में जन्मीं कल्पना चावला सी,बेटियाँ महान हों ।
रक्षा की अटूट रेशम डोरी का,वज़न जो उठा सके,
ऐसी मजबूत भाइयों की,कलाइयां बलवान हों ।
स्वतंत्र मेरे भारत देश की,स्वतंत्रता महान हो ,
मेरे अमर तिरंगे की,निराली आन-बान-शान हो ।
( जयश्री वर्मा )
विश्व पटल पे मेरे देश की,ऊँचाइयाँ बखान हों ।
नई ऊंचाइयां गढ़ डालें,ऐसी बेटियाँ महान हों,
स्वप्न देख साकार करें,ऐसी बेटों की उड़ान हो ।
हरियाली धरती ओढ़े,कृषक कृषि से धनवान हो,
ख़ुशी से फले फूले परिवार,सभी का सम्मान हो ।
नदियाँ बल खाएं,छलकते सरोवरों से पहचान हों,
पशु,पक्षी,लताएँ,वृक्ष,वन सम्पदा की जान हों ।
हर कोई हो साक्षर समर्थ,जन-जन ज्ञानवान हो,
वीरों के बलिदान की,अमर कहानियाँ बयान हों ।
अनंत अंतरिक्ष की ऊंचाइयां चूमें,ऐसे हमारे यान हों,
देश में जन्मीं कल्पना चावला सी,बेटियाँ महान हों ।
रक्षा की अटूट रेशम डोरी का,वज़न जो उठा सके,
ऐसी मजबूत भाइयों की,कलाइयां बलवान हों ।
स्वतंत्र मेरे भारत देश की,स्वतंत्रता महान हो ,
मेरे अमर तिरंगे की,निराली आन-बान-शान हो ।
( जयश्री वर्मा )
Dhanyavaad aapka Rajendra Kumar ji ! Swatantrata divas ki shubhkaamnaayen !
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