तू और मैं,
क्या हैंऔर कौन हैं ?
कब से हैं ? कब तक हैं ?
प्रश्न से उत्तर तक या,
उत्तर के प्रश्न तक ?
आसमान से धरती,और ,
धरती के कण- कण में,
निर्जीव में या स्पंदन में,
सब में हैं और हर में हैं।
प्रश्न है कैसे ?
उत्तर है ऐसे -
तू सागर,मैं लहरें,
तू सूरज,मैं किरणें,
तू बादल,मैं पानी,
यही सृष्टि की कहानी।
तू पर्वत,मैं सरिता,
तू अंतर,मैं कविता,
तू लेख,मैं पाती,
तू दीपक,मैं बाती।
तू शिल्पी,मैं कल्पना,
तू रंग,मैं अल्पना,
तू जीवन,मैं हलचल,
हम संग-संग हर पल।
तू राग,मैं तान,
तू शब्द,मैं गान,
तू लता,मैं फूल,
तू जीवन,मैं भूल।
तू पारखी,मैं कंचन,
तू आँख,मैं अंजन,
तू हाथ,मैं कंगन,
तू रिश्ता,मैं बंधन।
तू बादल,मैं दामिनी,
तू काम,मैं कामिनी,
तू जीवन,मैं धड़कन,
तू अंजुली,मैं अर्पण।
तू नेत्र,मैं दृष्टि,
तू मनु,मैं सृष्टि,
तू भ्रमर,मैं शतदल,
तू प्रश्न और मैं हल।
( जयश्री वर्मा )
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