जो बीत गया सो वो जाने दो ,
जो आ रहा वो स्वीकार करो ,
ये वर्तमान जो अब हाथ में है,
तो इस वर्तमान से प्यार करो।
कुछ खट्टा सा है,कुछ मीठा सा है ,
कुछ तीखा सा है,कुछ फीका है ,
कुछ खुशियों सा,कुछ दुःख भरा,
कुछ सम्मुख है,तो कुछ छूट रहा।
अलग-अलग सा रूप है इसका,
और कुछ अलग-अलग सा रंग ,
अलग-अलग सा दर्शन है सबका,
और कुछ अलग-अलग सा ढंग ।
यूँ हार न मानो इस वर्तमान में,
तुम ऐसा वर्तमान को जी लो,
वर्तमान की सुस्वादु हाला यह,
इसके तुम हर स्वाद को पी लो।
कुदरत ने है सबको समान रचा,
मत तुम यूँ कोसो अपना भाग्य,
अपने ही हाथों से लिख डालो तुम,
खुद के इस जीवन-जन्म का राग।
कुछ ज्ञान भरोऔर कुछ प्रेम भरो,
कुछ तुम मेहनत से साकार करो ,
कुछ खुशी भरो,कुछ त्याग भरो,
कुछ अलग-अलग सा सार भरो ।
फिर देखो जीने का क्या मतलब,
जब खुद के हाथों से तकदीर बने,
वक्त झुके सम्मुख और तब इस,
सुन्दर जीवन की तस्वीर बने ।
तुम वर्तमान की रचना में डूबो,
और इसके ख्वाबों में उतराओ,
वर्तमान की जीवन सरिता संग,
बस तुम बहते ही चलते जाओ ।
( जयश्री वर्मा )
कल 26/अगस्त/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद !
आभार ! आपका !
Deleteवर्तमान की जीवन सरिता संग,
ReplyDeleteबस तुम बहते ही चलते जाओ ।
बहुत सुन्दर 1
ताक पर रख दर्द , आंसू पी लिये
ज़िन्दगी का हाथ थामा जी लिये1
बहुत - बहुत धन्यवाद आपका निर्मला कपिला जी !
Deleteबहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteबहुत - बहुत शुक्रिया अनुषा मिश्रा जी !
Deleteआदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'बुधवार' २४ जनवरी २०१८ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
ReplyDeleteइस सम्मान के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद ध्रुव सिंह जी!
Deleteआदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'बुधवार' २४ जनवरी २०१८ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
ReplyDeleteहम तो आपके भावों में खोकर बहते गए।
ReplyDeleteअच्छा लिखा है।
सुन्दर शब्दों में की गई तारीफ़ के लिए आपका शुक्रिया अभी जी !
Deleteआशा और विश्वास से भरी सुंदर रचना..
ReplyDeleteसादर धन्यवाद आपका अनीता जी!
Deleteसचमुच धारा के साथ बह जाना ही जीवन है --- सार्थक रचना ००
ReplyDeleteकविता की सराहना लिए धन्यवाद आपका रेनू जी !
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