Friday, March 15, 2019

सुंदर ख्वाब

अगर प्यार जो हुआ है तो,हो भी जाने दो,
ये दिल जो खिला है तो,खिल भी जाने दो,
ये इक तिलस्मयी,दुनिया का आगाज़ है,
चाहत को मीठे सपनों में,खो भी जाने दो।

इस दुनिया का क्या है,ये तो नहीं मानेगी,
नवप्रेम की इस पुकार को,ये नहीं जानेगी,
दुःख देने में तो इसे,बड़ा ही मज़ा आता है,
छोड़ो इसे,नया अफसाना,बन भी जाने दो। 

के हमदम सबके,नसीब में नहीं है मिलता,
ये फूलों का खिलना,सबको नहीं है दिखता,
बागों की खुश्बूएँ भी,सबको नहीं हैं रिझातीं,
ये प्रेम है निर्बन्ध,उन्मुक्त बह भी जाने दो।

ये चाँद-तारों की बातें,सबको कहाँ हैं आतीं,
कसमों,वादों की रातें,सबको नहीं हैं भातीं,
सबके कदमों पे,यूँ इंद्रधनुष नहीं हैं झुकते,
जो बढ़े कदम इस ओर,तो बढ़ भी जाने दो।

सब नहीं जानते,अमर है,प्रेम की परिभाषा,
पतझड़ के रूठे हुओं को,रंगों से क्या आशा,
के ये जन्मों संग,जीने और मरने की बातें हैं,
क़दमों पे रखे फूल,दिल से लग भी जाने दो।  

दिलों की ये भाषा तो,दिलवाले ही जानते हैं,
शमा की पुकार तो,बस परवाने पहचानते हैं,
के सूनी डगर का राही,बनने से क्या फायदा,
बहारों का है बुलावा,तो बाहें भर भी जाने दो। 

                                            - जयश्री वर्मा


Monday, March 4, 2019

ये अजीब भटकाव

रोज सूरज का आना,और दिन का चढ़ना ,
वही किरणों का धरती पे,धीरे-धीरे बढ़ना ,
वही सड़कों पे दौड़ते हुए,लोग इधर-उधर ,
भरते हुए स्कूल-दफ्तर,खाली से होते घर।

बाजारों का शोर-शराबा,सामानों के दाम,
लेते-देते हुए लोगबाग,बस काम ही काम ,
संतुलन का कर हुनर,नट दिखाता खेला ,
जैसे साँसों संग जूझता,जिंदगी का मेला।

मनमानी की सबने,खुमारी में जवानी की,
कुछ को है रुलाया,और कुछ संग हंसी की,
जैसे किसी के हाथों डोर है,हमें नचाने की ,
थिरकती कठपुतलियाँ,हम है जमाने की। 

साँसों का ये ज्वार-भाटा,उतरता और चढ़ता ,
ऐसे ही बीते जीवन,यूँ मौत की ओर बढ़ता ,
रोज की ये कहानी,और रोज का ये दोहराव,
कुछ न हासिल होने का,ये अजीब भटकाव।

दुःख-सुख,हँसी-आँसू,कुछ खोना और पाना ,
इसी सब में भटक रहा है,ये सारा ही ज़माना,
जीवन इक अतृप्त खेल,अनबूझा,अनजाना ,
ये जन्म से मरण तक का,है अजीब हर्जाना।

बचपन से बुढ़ापे की दौड़ में,हर दिन है जीना,
अनुकूल सब नहीं मिलेगा,गरल भी होगा पीना,
के हार-जीत की हाट है ये,लेना-देना तो पड़ेगा,
तभी तो अमूल्य जीवन ये,अनुभवों में ढलेगा।


                                                - जयश्री वर्मा