Monday, April 3, 2017

मुफ्त नहीं मुहब्बत मेरी

मुफ्त नहीं मुहब्बत मेरी,तुम्हें झुकना होगा,
तुम सिर्फ मेरे हो,ये वादा तुम्हें करना होगा,
धोखा नहीं चलेगा,प्यार के इस व्यापार में,
खुल के दुनिया के सामने,दम भरना होगा।

सूरज की लाली संग,आशाएं जगानी होंगी,
दिन भर मेरी गृहस्थी की,नाव चलानी होगी,
शाम ढले मेरी चाहतों के,संग ढलना होगा,
मैं हूँ शमा निःशब्द,मुझ संग जलना होगा।

सावन के सभी गीत,मेरे सुरों संग गाने होंगे,
मेरे जज़्बात पतझड़ में भी,गुनगुनाने होंगे,
घर की किलकारियाँ,गले से लगानी होंगी,
ऊँगली थाम के उन्हें,हर राह दिखानी होगी।

मायूसियों में,अपना कन्धा भी बढ़ाना होगा,
बाँहों के दायरे में बाँध कर,सहलाना होगा,
आंसुओं को मेरी पलकों में,नहीं आने दोगे,
खुशियों को कभी मुझसे,दूर न जाने दोगे।

जब मेरा ये वज़ूद,तुम्हारी पहचान बन जाए,
मेरा नाम भी जब,तुम्हारा नाम ही कहलाए,
मेरी हिफाज़त,तुम्हारे अरमान में ढल जाए,
तुम्हारे ख़्वाबों में जब,मेरा तसव्वुर घुल जाएं।

विवाह की सारी कसमों को,निभाना ही होगा,
हर सुख-दुःख में रहोगे साथ,ये जताना होगा,
कितनी भी विपत्ति हो,मुख नहीं फेरोगे कभी,
मेरे हो,मेरे रहोगे सदा,कहो यहीं और अभी।  

मौसमों के साथ,मुझे महफूज़ रखना होगा,
अपनी जान से भी ज्यादा,प्यार करना होगा,
मैं कितनी भी ढल जाऊं,संग मेरे रहोगे सदा,
सच्चा साथी होने का फ़र्ज़,पूरा करोगे अदा।

सच कहो कभी भी,भरोसा मेरा नहीं तोड़ोगे,
जीवन के झंझावातों में,अकेला नहीं छोड़ोगे ,
तब मैं तुम्हारी संगिनी,हमसाया बन जाऊँगी,
तुम्हारी हर परिस्थिति के साथ ढल जाऊँगी।
पर ----
मुफ्त नहीं मुहब्बत मेरी,तुम्हें झुकना होगा,
तुम सिर्फ मेरे हो,ये वादा तुम्हें करना होगा।

                                              ( जयश्री वर्मा )







14 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 05 अप्रैल 2017 को लिंक की गई है...............http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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    1. "पांच लिंकों का आनंद में" मेरी कविता को स्थान देने के लिए सादर धन्यवाद आपका यशोदा अग्रवाल जी !

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  2. गृहस्थ जीवन एक कर्मयोग है ,जो बड़ा कठिन एवं धैर्य की इच्छा करता है मेरे विचार से इसे व्यतीत करने वाला सच्चा योगी है। सुंदर अभिव्यक्ति !

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    1. प्रतिष्ठा मे,ध्रुव सिंह जी !आपने सही कहा गृहस्थ जीवन एक कर्मयोग है,आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!

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    1. सादर धन्यवाद आपका सुशील कुमार जोशी जी !

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  4. पत्नी के प्रति समर्पण का भाव रखने को प्रेरित करती आपकी सुंदर कविता जयश्री जी ।
    सादर आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों --
    मेरे ब्लॉग का लिंक है : http://rakeshkirachanay.blogspot.in/

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    1. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद राकेश कुमार श्रीवास्तव राही जी !

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  5. सहीं कहां प्रेम करना बहुत आसान होता हैं, पर प्रेम को निभाना आसान नहीं होता।

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    1. जी हाँ !इसी लिए कसमें और वादे लिये-दिये जा रहे हैं,आपकी प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद तरुण कुमार जी !

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  6. बहुत मर्म की बात लिखी है श्री जी आपने गर कोई समझने वाला हो?

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    1. जी हाँ !बात तो मर्म और ईमानदारी की ही लिखी है और जीवन में समझने वाले लोग भी मिल ही जाते हैं। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद राजा जी !

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  7. समर्पण का भाव आगाज का अंदाज गजब का .. बहुत सुन्दर

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    1. सादर धन्यवाद आपका संजय भास्कर जी !

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