दोस्त वो जो दोस्ती की हर रस्म निभा ले,
साथ दे सदा,दिल से अटूट बंधन बना ले,
आपकी उन्नति से जिसे खुशी मिले अपार,
आपकी खुशियों को जो अंतर्मन से सम्हाले।
आपके आंसुओं से द्रवित हों जिसकी निगाहें,
जो दुःख दर्द में आपको अपने सीने से लगा ले,
जो साथ न छोड़े चाहे हों लाख विपरीत हवाएं,
जो कठिनाइयों में आपको पर्वत सा सम्भाले।
दोस्त वो जिसको समझाने में वक्त न लगे ,
दोस्त वो जो चेहरा पढ़ दिल के हाल बता ले ,
दोस्त वो जिससे हर बात बेरोकटोक हो सके,
जो छोटी - छोटी बात का बतंगड़ न बना ले।
दोस्त नहीं मिला करते हैं हर किसी को दोस्तों,
मिले जो कोई दोस्त तो दोस्ती की रस्म निभा लें,
दोस्त हैं आपके आस-पास भरे हुए,पर शर्त है ये -
कि आप खुद को दोस्ती की परिभाषा सिखा लें।
( जयश्री वर्मा )
साथ दे सदा,दिल से अटूट बंधन बना ले,
आपकी उन्नति से जिसे खुशी मिले अपार,
आपकी खुशियों को जो अंतर्मन से सम्हाले।
आपके आंसुओं से द्रवित हों जिसकी निगाहें,
जो दुःख दर्द में आपको अपने सीने से लगा ले,
जो साथ न छोड़े चाहे हों लाख विपरीत हवाएं,
जो कठिनाइयों में आपको पर्वत सा सम्भाले।
दोस्त वो जिसको समझाने में वक्त न लगे ,
दोस्त वो जो चेहरा पढ़ दिल के हाल बता ले ,
दोस्त वो जिससे हर बात बेरोकटोक हो सके,
जो छोटी - छोटी बात का बतंगड़ न बना ले।
दोस्त नहीं मिला करते हैं हर किसी को दोस्तों,
मिले जो कोई दोस्त तो दोस्ती की रस्म निभा लें,
दोस्त हैं आपके आस-पास भरे हुए,पर शर्त है ये -
कि आप खुद को दोस्ती की परिभाषा सिखा लें।
( जयश्री वर्मा )
दोस्त हैं आपके आस-पास भरे हुए,पर शर्त है ये -
ReplyDeleteकि आप खुद को दोस्ती की परिभाषा सिखा लें।
बहुत सही कहा आपने .... बेहतरीन अभिव्यक्ति !!!!!
बहुत - बहुत धन्यवाद आपका संजय भास्कर जी !
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