Wednesday, January 16, 2019

बताऊँ कैसे ?

कैसे समझाऊं उन्हें यूँ रूठ के जाया नहीं करते ,
दिल नाज़ुक है,बार-बार यूँ सताया नहीं करते ,
जो उदास हो चल दिए हम,तो इल्म रहे उनको ,
लाख चाहेंगे मनाना,तो फिर मनाएंगे किसको ?

उनका यूँ जाना,कि रंगों का बिखर जाना मानो ,
के हरियाली भी,पतझड़ सरीखी लगे है मुझको ,
यूँ तो बहार आई है,और गुल भी खिले है लेकिन ,
जो जज़बात मचले हैं दिल में,दिखाऊँ किसको ?

रात का आना कि ज़ख्मों का कसमसाना जैसे ,
ख्वाबों का चले जाना कहीं,पलकों से दूर जैसे ,
चाँद उनींदा सा और,रात भी बोझिल सी हुई है ,
अरमान जो जागे हैं जेहन में,सुनाऊं किसको ?

वो दिलफरेब मुस्कान,बार-बार आती है सामने,
उनकी नज़रों की अठखेलियों के,हम हैं दीवाने,
लम्हों की ये शरारतें,और दिल बहक सा चला है,
के मचले एहसासों का,एहसास दिलाऊं किसको ?

उन राहों पे भी चला हूँ,कि जिनसे वो गुज़रे थे ,
डालों से गिरे फूल चुने,जो उन्हें छू के बिखरे थे ,
उनके दामन से खेल के,हवाएं इधर ही आती हैं ,
इन अनकहे से पहलुओं को,समझाऊं किसको ?

ऐ खुदा! जो दिलबर दिया मुझे,तो करम है तेरा,
पर यूँ इस कदर हुस्न और हठ से,नवाजा क्यों है,
गुनहगार होके भी वो,यूँ अनजान से बने बैठे हैं,
तू ही बता ये हाल-ए-दिल,उनको मैं बताऊँ कैसे ?


                                            -  जयश्री वर्मा

                                           

Tuesday, January 1, 2019

नमन आपको


पुष्प खिलें खुशियों के,जीवन में,
उल्लसित विचार हों,अंतर्मन में ,
अभिनंदन हो इस,नव संघर्ष का,
है ये नमन आपको,नव वर्ष का। 

राह हो सुगम,स्वप्न चढ़ें परवान,
सरल बनें,सुख-दुख के मेहमान,
आशीष मिले प्रभु कृपादृष्टि का ,
है ये नमन आपको,नव वर्ष का।

सदा विराजे,मृदु मुस्कान चेहरे पे,
दूरी रहे कायम,कष्ट,रोग,शोक से ,
2019 बने,आपका,चमन हर्ष का,
है ये नमन आपको,नव वर्ष का।

गुज़रा हुआ वक्त,यादों में सहेजें,
ये भविष्य आगमन,बाहों में ले लें,
नव जाल बुनें,आशाओं,संघर्ष का,
है ये नमन आपको,नव वर्ष का।

                                                                            - जयश्री वर्मा