ज़िन्दगी रंग शब्द Jaishree Verma

Tuesday, November 12, 2024

मेरे यक्ष प्रश्न

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पिता का अंश हो,प्राण हो,कुल पहचान हो, घर द्वार की शहनाई हो,धरोहर मेहमान हो, प्रेम से सिंचित,पोषित,लीलामई मुस्कान हो, परिवार का सम्मान हो,गर्...
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Thursday, August 17, 2023

हठी से पाला

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सुबह के 4:30 का अलार्म जगाने को बोला, कोई फुसफुसाया-ज्यों ही आँखों को खोला, अरे रुको! सभी सोए हैं तुम भी तो थोड़ा सा और सो लो, मीठे से सपनों ...
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Sunday, June 4, 2023

किससे शर्म है ?

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यहीं रोक दो गलतफहमियाँ,इन्हें आगे न बढ़ाओ,   शिकवों की ईंट चुन-चुन के,ऐसे दीवार न बनाओ,  न बीनो,बीते हुए वक्त के,बातों के बिखरे ठीकरे,  के हँ...
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Monday, August 29, 2022

दोनों हथेलियाँ

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मेरी दोनों हथेलियाँ अभ्यस्त हैं काम करने की, ये सुबह से ही काम में जुट जाती हैं, ये बनाने लगती हैं चाय तुम्हारे लिए, फैला बिस्तर सहेजती हैं,...
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Saturday, August 6, 2022

जहाँ रह रही हूँ

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जहाँ रह रही हूँ माँ मैं,क्या ये घर मेरा नहीं है? तो कौन सा है घर मेरा,क्या ये दर मेरा नहीं है? जन्म दिया है तुमने,और पिता ने दिया है अंश, पा...
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Wednesday, July 20, 2022

आपके ये दो नैना

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ये कहना कुछ चाहें,कुछ और ही कह रहे हैं, आपके ये दो नैना अब,दगाबाज़ हो चले हैं, तभी तो सबसे नज़रें मिलाने से कतराते हैं, ये कुछ-कुछ शातिर...
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Wednesday, July 6, 2022

तुम नहीं समझोगे

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काश! तुम समझते,इस दिल की ये लगन मेरी , रह-रह तुम पे रीझना,और ये मन की अगन मेरी, जब याद में सुलगना ही,सार्थक सा लगने लगे , हर पल कोई इच्छा...
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Monday, April 18, 2022

नया अफसाना

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अजी! शुक्रिया आपका,जो आप मुस्कुराए हैं , के आंखों में तमाम सारे,ख्वाब झिलमिलाए हैं, जी गया हूँ,नई जिंदगी,इन्ही चंद लम्हों में मैं , आप मेरे...
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Sunday, February 20, 2022

लड़की हो तुम

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ज़माना सही नहीं है,ज़रा सम्हल के रहो,  पर्दा करो,धीरे बोलो,यूँ न मचल के कहो,  अपनी नज़रों को,जमीन से लपेट के चलो, बेहतर है,निज परछाइयों को समेट...
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Sunday, December 5, 2021

ज़िन्दगी इक सवाल

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ज़िन्दगी क्या है ? क्या ज़िन्दगी सवाल है ? शायद ये सवाल है------! मुझे किसने है भेजा?कहाँ से हूँ मैं आया ? क्या उद्देश्य है मेरा?ये जन्म ...
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Monday, May 24, 2021

मैं सम्पूर्ण सार लिए

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जैसेकि ये,निरंतर भागती सी राहें,दिन-रात चलें , सीधे या दाएं-बाएं घूम कर,इक दूजे से जा मिलें , या कितनी ही ये दिन-रात दौड़ने की चाहत में रहें ...
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Monday, April 5, 2021

कह दीजिये

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मित्रों ! मेरी यह रचना दिल्ली प्रेस पत्र प्रकाशन प्रा० लिमिटेड द्वारा प्रकाशित पत्रिका " मुक्ता " में प्रकाशित हुई है ! आप भी इसे ...
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Thursday, February 25, 2021

सुखद एहसास

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शब्दों का रह-रह कर के,यूँ बातों में बदलना, यहाँ-वहाँ,दुनिया-जहान की,बातों का कहना, यूँही शब्द-शब्द चुनना,और बात-बात बुनना, तुम संग तुममें ...
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Monday, September 7, 2020

ये बातें

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बातों की क्या कहिये,बातों का है अनंत-अथाह संसार, जन्म से मृत्यु तक शब्दों से ही,बंधा है जीने का आधार। ये बातें तोतली ज़ुबान-मा,पा,डा से,शु...
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Tuesday, August 18, 2020

जो उनकी याद आई

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  आज जो उनकी याद आई,तो आती चली गई  शाम ख़्वाबों की बदरी छाई,तो छाती चली गई।   वो मुस्कुराना आँखों में,बहक जाना बातों में ,  और झूठ पकड़े जाने ...
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Monday, July 27, 2020

खुद पे गुरूर

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घुमड़ के,और घिर-घिर,जो मेघ आने लगे हैं, ये तन-मन भिगा के,नई चेतना जगाने लगे हैं, सुलगते हुए भावों को यूँ,शीतल कर डाला है, उम्मीद की नई को...
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Saturday, June 27, 2020

छलकते से सागर

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सुनो तो! लफ्ज़ हैं अनेकों,और ये बातें हैं असंख्य , तुम्हारे,मेरे हृदय के बीच,धड़कते भाव है अनंत , इन भावों को मिल जाने दो,न रहने दो अनजान ...
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Friday, June 19, 2020

हमने छोड़ दिया

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अपने दिल की गहराइयों में,हम डूबे भी उतराए भी,  जो ज़ख्म मिले,कुछ दिखाए,कुछ खुद सहलाए भी,  वो अनजान ऐसे बनके रहे,जैसे कुछ जानते ही न हों, हमने...
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Thursday, June 4, 2020

जुस्तजुएँ हज़ार हैं

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माँ-बाप से चाहत है हर क्षण दुलार की ,   मित्र संग अटूट गलबहियों के हार की ,  हंसी,खेल,लड़कपन,आनंद हो अपार,  बचपन न सहे कभी भी दुःखों का भार,...
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Wednesday, April 15, 2020

आना-जाना लगा रहेगा

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सुख-दुःख हैं जीवन के साथी,ये आना-जाना लगा रहेगा। खुशी आए,जी भरके जी लो, हँस लो,खेलो,उमंगें भर लो, दीप जलाओ,पुष्प बिछाओ, मिल जुल,एक ...
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Wednesday, March 25, 2020

मैं तुमसे मिली थी

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मैं तुमसे मिली थी- सूरज की लाली की गर्माहट में, पुष्प-पंखुड़ी की मुस्कराहट में, कैनवास के रंगों की लकीरों में, शरारत से भरे नयनों के ती...
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Wednesday, March 11, 2020

फर्क कहाँ है ?

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गुलाब लगा हो मंदिर,मस्जिद में या के गिरजाघर में, जब उसका नाम गुलाब ही रहेगा तो फिर फर्क कहाँ है ? जो जन्मा है वो जाएगा भी इस जग से कभी न...
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Wednesday, February 26, 2020

मैं स्पंदन हूँ

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मैं सृष्टि का जना आधा हिस्सा हूँ, इस पूर्ण सत्य का पूर्ण किस्सा हूँ, मैं हर स्त्रीलिंग की पहचान में हूँ, मैं भूत से भविष्य की जान में ह...
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Tuesday, February 18, 2020

आओगे के न आओगो

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ये मौसमों का आवाज़ देना,जगाना,बुलाना,हर पल , और पलकों संग ख़्वाबों की,लुका-छिपी की हलचल , के इन हवाओं का बहना,बिना बंधन हो के बेपरवाह , इ...
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Thursday, February 6, 2020

ऐसा कुछ भी नहीं

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क्यों नहीं कह देते जो कोई,मन में आरज़ू है तुम्हारे, शायद ख़यालात एक जैसे,मिलते हों तुम्हारे-हमारे, के जो कोई पल बेचैन कर गया हो,तुम्हारे ...
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Friday, November 29, 2019

चाहत हो जाती हूँ

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सप्तरंगी इंद्रधनुष, खुश्बुएं हजार किस्म, भिन्न रूप-आकार लिए, खिलती हूँ,खिलखिलाती हूँ, प्रकृति के फूलों की महक सी, मनमोहक बनके दिलों म...
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Friday, November 8, 2019

बहुत कुछ अनकही

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मित्रों !मेरी इस कविता कि कुछ पंक्तियाँ समाचार पत्र " दैनिक जागरण " में छप चुकी हैं , आप लोग भी इसे पढ़ें। रात बड़ी खामोश थी पर...
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Tuesday, September 17, 2019

कुछ-कुछ जाना है

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कलियाँ कब,क्यों चुपके से,फूल बनके महकें ? ये भँवरे गुन-गुन सुन ज़रा,क्या कुछ हैं कहते ? तितलियाँ भी क्यों रंग जादुई,परों में हैं भरतीं ?...
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Monday, September 2, 2019

ज़िन्दगी में ढली मैं

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माँ की कोख में रची मैं,ज़िन्दगी में ढली मैं , पिता की बाहों के पालने में,खेली-पली मैं , आँगन की चिरैया सी,चहक-चहक डोली , मीठी सी मुस्कान ...
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Monday, August 26, 2019

तुम्हारे जाने के बाद

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तुम क्या जानो के ऐसे,तुम्हारे जाने के बाद , कैसा बेबस सा हुआ,ये मेरा मन,ये मेरा तन , के देहरी पर निगाह,ठहर सी जाती है मेरी , जहाँ पे कि ...
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Monday, August 5, 2019

ये क्यों है ?

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ये अपनों के ही दरमियान,खड़ी दीवार क्यों है ? के आज आदमी ही,आदमी का शिकार क्यों है ? मशीनी से जिस्म हुए,भावों के समंदर रीत गए , ये भाई-भा...
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Saturday, July 27, 2019

ऐसे कितने ही जाधव

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न जाने कितने जाधव,कितनी विदेशी जेलों में फंसे हैं, आँखों में झाइयाँ,शरीर है ढांचा,पर बेड़ियों में कसे हैं। ये गालियों और लातों की रोटी स...
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Monday, July 1, 2019

कहाँ से लाओगे ?

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यूँ चाहतों का जाल,भेद कर,तुम कहाँ जाओगे ? जो गर चाहोगे भूलना तो भी,भुला नहीं पाओगे , के हमारा हंसना,रूठना,उलझना,मान-मनुहार , बंध गए हो ज...
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Wednesday, May 29, 2019

बनाते नहीं हैं

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सच्चाई,सुकून,भरोसा,ये जीवन की खुश्बुएं हैं, किसी से गर जो मिले,तो उसे भुलाते नहीं हैं, ख्वाबों में जो खोया निश्छल,मुस्कुरा रहा हो, ऐसी ...
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Monday, April 29, 2019

चिट्ठी तेरे नाम लिखी

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सुन रे प्रिय! मैंने इक चिट्ठी,तेरे नाम लिखी, इक दिन सूना,और अधूरी इक रात लिखी, के जिसमें है व्यथा,कुछ कही,अनकही सी,  कुछ तो है सहनीय,और ...
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Friday, March 15, 2019

सुंदर ख्वाब

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अगर प्यार जो हुआ है तो,हो भी जाने दो, ये दिल जो खिला है तो,खिल भी जाने दो, ये इक तिलस्मयी,दुनिया का आगाज़ है, चाहत को मीठे सपनों में,खो ...
4 comments:
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