सुख-दुःख हैं जीवन के साथी,ये आना-जाना लगा रहेगा।
खुशी आए,जी भरके जी लो,
हँस लो,खेलो,उमंगें भर लो,
दीप जलाओ,पुष्प बिछाओ,
मिल जुल,एक दूजे के साथ,
बाँटो खुशियाँ,मौज उड़ाओ,
हरियाला सावन,पतझड़ सूना,ये आना-जाना लगा रहेगा।
हँस लो,खेलो,उमंगें भर लो,
दीप जलाओ,पुष्प बिछाओ,
मिल जुल,एक दूजे के साथ,
बाँटो खुशियाँ,मौज उड़ाओ,
हरियाला सावन,पतझड़ सूना,ये आना-जाना लगा रहेगा।
दुःख आए तो,मत घबराना,
कुछ पल ही,ठहरेगा ये भी,
धैर्य धरना,मन हार न जाना,
कुछ पल ही,ठहरेगा ये भी,
धैर्य धरना,मन हार न जाना,
दिल में,न पीर बसाना तुम,
आंसू आएँ,तो बह जाने दो,
रात अँधेरी फिर सुबह सुनहरी,ये आना-जाना लगा रहेगा।
आंसू आएँ,तो बह जाने दो,
रात अँधेरी फिर सुबह सुनहरी,ये आना-जाना लगा रहेगा।
जीवन सुख,दुःख का है झूला,
दुःख इसपार,तो सुख उसपार
संतुलन साधो,सब सध जाएगा,
दुःख इसपार,तो सुख उसपार
संतुलन साधो,सब सध जाएगा,
और सुख घूम,इस पार आएगा ,
समय बदलेगा,लगेगी देर नहीं,
पूस की ठिठुरन,जेठ की गर्मी,ये आना-जाना लगा रहेगा।
जन्म-मृत्यु,तो है निश्चित सबकी,
इस बीच की कहानी,लिखनी है,
मन माफिक,जो गढ़ ली जैसी,
वो गाथा,बस वैसी ही बननी है,
इस बीच की कहानी,लिखनी है,
मन माफिक,जो गढ़ ली जैसी,
वो गाथा,बस वैसी ही बननी है,
ईश्वर से,कैसा शिकवा करना ?
जन्म के सोहर,मृत्यु से बिछड़न,ये आना-जाना लगा रहेगा।
अपनाना,ठुकराना,रिश्ते बुनना,
हठ,स्नेह,दगा,दोस्ती,राहें चुनना,
प्यार,त्याग,मिलना,खोना,पाना,
कहना,सुनना,रूठना,समझाना,
जीवन है अनुभव,ये बातें गुनना,
साँसों का चलना,साँसों का थमना,ये आना-जाना लगा रहेगा।
सुख-दुःख हैं जीवन के साथी,ये आना-जाना तो लगा रहेगा।
जन्म के सोहर,मृत्यु से बिछड़न,ये आना-जाना लगा रहेगा।
अपनाना,ठुकराना,रिश्ते बुनना,
हठ,स्नेह,दगा,दोस्ती,राहें चुनना,
प्यार,त्याग,मिलना,खोना,पाना,
कहना,सुनना,रूठना,समझाना,
जीवन है अनुभव,ये बातें गुनना,
साँसों का चलना,साँसों का थमना,ये आना-जाना लगा रहेगा।
सुख-दुःख हैं जीवन के साथी,ये आना-जाना तो लगा रहेगा।
- जयश्री वर्मा
बहुत सुंदर दार्शनिक भाव!!!
ReplyDeleteसादर धन्यवाद आपका विश्वमोहन जी !🙏😊
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(१८-०४-२०२०) को 'समय की स्लेट पर ' (चर्चा अंक-३६७५) पर भी होगी
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
**
अनीता सैनी
मेरी कविता "आना-जाना लगा रहेगा" को 'समय की स्लेट पर ' (चर्चा अंक-३६७५) में स्थान देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद अनीता सैनी जी।🙏 😊
Deleteजीवन सुख,दुःख का है झूला,
ReplyDeleteदुःख इसपार,तो सुख उस पार
संतुलन साधो,सब सध जाएगा,
और सुख घूम,इस पार आएगा ,
समय बदलेगा,लगेगी देर नहीं,
पूस की ठिठुरन,जेठ की गर्मी,ये आना-जाना लगा रहेगा।
सटीक सुन्दर सार्थक...
लाजवाब सृजन
वाह!!!
आपका सादर धन्यवाद सुधा देवरानी जी !🙏 😊
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