अच्छा हुआ के जो,तुमने बात बोल दी,
के मन की दुखन,मेरे प्याले में घोल दी,
यूँ कहने को मैं,तुम्हारा अपना भी नहीं,
पर अपना जानके,तमाम गांठे खोल दीं।
इस दिल को,अपने करीब जाना तुमने,
है शुक्रिया कि,मुझे अपना माना तुमने,
मैं भरोसे के पर्याय पर,सच्चा उतरूंगा,
के जब पुकारोगे कभी,तुम संग दिखूंगा।
पलकों से जो दर्द बहे,तो बह जाने दो,
दिल-दिमाग धुलता है,तो धुल जाने दो,
दिल का पत्थर सा बोझ,कम ही होगा,
घबराना मत,अच्छा ही होगा,जो होगा।
इतना मत डरो के,नज़रें ही बोलने लगें,
इतना मत हँसो के,लोग तौलने ही लगें,
के बातें न करो कभी,दिल की परायों से,
कहीं लोग छिपे ज़ख्म ही न कुरेदने लगें।
के यूँ तो अपनों के दिए,गम ही जलाते हैं,
सब कुछ व्यर्थ है,ये गुज़रे लम्हे बताते हैं,
तोड़ ही डालेंगे ये झंझावात,नहीं हैं कमतर,
के विश्वास करो,वक्त जवाब देगा बेहतर।
- जयश्री वर्मा
के मन की दुखन,मेरे प्याले में घोल दी,
यूँ कहने को मैं,तुम्हारा अपना भी नहीं,
पर अपना जानके,तमाम गांठे खोल दीं।
इस दिल को,अपने करीब जाना तुमने,
है शुक्रिया कि,मुझे अपना माना तुमने,
मैं भरोसे के पर्याय पर,सच्चा उतरूंगा,
के जब पुकारोगे कभी,तुम संग दिखूंगा।
पलकों से जो दर्द बहे,तो बह जाने दो,
दिल-दिमाग धुलता है,तो धुल जाने दो,
दिल का पत्थर सा बोझ,कम ही होगा,
घबराना मत,अच्छा ही होगा,जो होगा।
इतना मत डरो के,नज़रें ही बोलने लगें,
इतना मत हँसो के,लोग तौलने ही लगें,
के बातें न करो कभी,दिल की परायों से,
कहीं लोग छिपे ज़ख्म ही न कुरेदने लगें।
के यूँ तो अपनों के दिए,गम ही जलाते हैं,
सब कुछ व्यर्थ है,ये गुज़रे लम्हे बताते हैं,
तोड़ ही डालेंगे ये झंझावात,नहीं हैं कमतर,
के विश्वास करो,वक्त जवाब देगा बेहतर।
- जयश्री वर्मा
बहुत बहुत खूबसूरत...आत्मा तृप्त हो जाती है आपकी रचनाएं पढ़ कर
ReplyDelete🙏 😊
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