Monday, January 13, 2014

फ़र्क तो है


बेटा जन्मा तो -
लड्डू बंटेंगे ,थाली बजाई जाएगी,
ढोलक की थाप पर सोहर भी गई जाएगी,
दादा-दादी हर्षेंगे,कि उनकी वंशबेल बढ़ जाएगी,
खानदान बढ़ा है आगे अब न्योच्छावर बांटी जाएगी।

बेटी जन्मी तो -
मायूसी भरी ख़ुशी फैल जाएगी,
माँ-बाप को तुरंत दहेज़ समस्या सताएगी,
बेटी पराया धन संबोधन से बातें बताई जाएंगी,
जच्चा-बच्चा की भी ठीक से देख-भाल नहीं की जाएगी।

बेटा चार वर्ष का होने पर  -
सबसे अच्छे स्कूल में दाखिला दिलाया जाएगा,
स्कूल डोनेशन में लोन ले तमाम धन लगाया जाएगा,
उसके बड़ा होकर अफसर बनने का दंभ दिखाया जाएगा,
बड़ा होकर बाप का नाम रौशन करने का ख़याल बुना जाएगा।

बेटी चार वर्ष की होने पर  -
घर के नज़दीक स्कूल में नाम लिखाया जाएगा,
पूरे समय उसकी रखवाली कर डर-डर के पाला जाएगा,
उसके सवाल "आखिर क्यों" पर उसे चुप भी कराया जाएगा,
भाई तो आखिर लड़का है ये अहसास बार-बार कराया जाएगा।

बेटा सोलह वर्ष का होने पर -
हाई स्कूल के बाद ज़िद्द पर उसे बाइक दिलाई जाएगी,
उसकी खुशी का ध्यान रख उसकी पॉकेटमनी बढ़ाई जाएगी,
स्टंट,इश्क की बातों पर लड़का है कह उसकी गलतियाँ दबाई जाएंगी,
पढ़ने में फिसड्डी होने पर भी उसके अफसर बनने की आस लगाईं जाएगी।

बेटी सोलह वर्ष की होने पर -
उसके उठने-बैठने पर सलीके की मोहर लगाई जाएगी ,
घर में भी खुल कर हंसने,बोलने पर उसके रोक बढ़ाई जाएगी ,
पराए घर जाने का वास्ता दे घर-गृहस्थी की बातें सिखाई जाएंगी ,
गलती से इश्क कर बैठी तो कुलच्छिनी,कलमुंही कहकर पीटी जाएगी।

बेटे के विवाह पर -
सुन्दर,सुशील,गृहकार्य दक्ष,रईस बहू ढूंढी जाएगी,
बेटे की आयुवृद्धि को करवाचौथ,वट सावित्री कराई जाएगी,
जल्दी से जल्दी पोता देने की बार- बार बात दोहराई जाएगी,
किसी कारणवश बहू चल बसी तो दूसरी की जुगत लगाई जाएगी,

बेटी के विवाह पर -
विवाह बाद बोझ हल्का हुआ कह गंगा नहाई जाएगी,
ससुराल से अब अर्थी निकले यही सोच समझाई जाएगी,
सुहागन मरी तो बैकुंठ अधिकारिणी कह बात भुलाई जाएगी,
और कहीं यदि विधवा हो गई तो भाई-भाभी पर बोझ ही कहलाएगी।

आखिर ऐसा क्यों ?
भारतीय समाज में सदा ही ये तुलना सोची जाएगी,
लड़का सहजोर छुरी तो लड़की कमजोर कददू ही कहलाएगी,
बेटे को खुला आसमान और बेटी पंख कतर पिंजरे में पाली जाएगी,
ये सोच न पहले बदली थी,न अब बदली है और न आगे बदली जाएगी।

                                                                   
                                                                            ( जयश्री वर्मा )


4 comments:

  1. Yes sub satya hai par main to usi ko badhav deta chahe kitani fissadi kyo nahi ho ! kutch to baiti kam aayegi

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    1. Fisaddi ho to kya ? Ansh to maata-pita ka hi hai isliye samaan dhyaan milna chaahiye !

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  2. Replies
    1. Meri is kavita per aapki pratikriya ke liye dhanyavaad Arun soni ji ! Vaise betiyon ke vash men ho to betiyaan jaada kaam aati hain .

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