Monday, May 6, 2013

सवाल


दोस्तों !मेरी यह कविता " सवाल " इस बार की " सरिता " मैगज़ीन में ( पृष्ठ संख्या -115 ) पर प्रकाशित हुई है!आप लोग भी पढ़ें ! धन्यवाद !


क्यों तुम्हारी आँखों में आज, तूफ़ान उमड़ आया है ?        
क्या किसी ने फिर,यादों के झरोखे पे खटखटाया है ?  

जो फूल दिया था उसने,खिला -खिला,महका -महका,
क्या वाही सूखा हुआ,किसी किताब में निकल आया है ?

जो तराना,उसने सुनाया था,कभी किसी पेड़ के नीचे,
क्या वही आज पास से गुज़रते,किसी ने गुनगुनाया है?

जो डोर बाँधी थी,कसमों की,वादों की,साथ में उस डाल पर,
क्या उसी डाल का कोई पत्ता,उड़ कर इधर चला आया है ?

जो कहे, अनकहे, सवाल और जवाब थे कई पूछे गए,
क्या ज़माने की निगाहों से,मन तुम्हारा कसमसाया है ?

क्यों मुरझाया हुआ है चेहरा,आज तुम्हारा इस कदर ?
क्या ख़्वाबों में मुस्कुराता, वही चेहरा उतर आया है ?

न पूछो ,न टोको,न कहो कुछ भी, न कोई अब सवाल करो,
कि बड़ी मुश्किल से मैंने,इस मन को थपका के सुलाया है।

                                       ( जयश्री वर्मा )

4 comments:

  1. यादों को शब्दों मैं ढालना कोई आपसे सीखे ! क्या यॆ कवितांए आपने कॉलेज टाइम मैं लिखी थी . जिन्दगी मैं बहुत ऐसे सवाल होते हे जो हम उस समय नही पूछ पाते या कुछ सवाल हमसे जवाब पूछते हैं .

    ReplyDelete
  2. Thanks!Mujhe yaad nahin ki maine kaun si rachna kab likhi .Aur haan yeh bhi spasht kar doon ki meri kavitaaon men uthaaye gaye vishay jaroori nahin ki mere hi sath ghatit hue hon .Topic to samaaj ,doston.rishton aur khud ke anubhavon kahi se bhi mil jaate hain .

    ReplyDelete
  3. जयश्री जी.... ये जीवन में अजूबा दिखा कुछ खास है, तुम्हारी लेखनी ही हम सब के लिए उपहार है. न देखा, न मिले तुमसे बहुत दिन से, फिर भी नजर आने लगे ये नेट का कमल है......अति सुंदर.....उपदेश

    ReplyDelete
    Replies
    1. उपदेश जी ! सर्वप्रथम कविता पर अपने विचार व्यक्त करने के लिए आपका बहुत - बहुत धन्यवाद परन्तु आपके शब्दों ने कुछ सवाल उठाये हैं मेरे मन में जैसे कि १.न देखा बहुत दिन से ! २. न मिले तुमसे बहुत दिन से ! इन लाइनों का क्या मतलब है ? आप कौन हैं ? क्या आप व्यक्तिजत रूप से पहले मुझसे मिले हैं ? माफ़ कीजियेगा मैं आपको पहचान नहीं पा रही हूँ |

      Delete