Tuesday, April 3, 2012

बचपन

बचपन 

जिससे कि चिंताएं डरती हैं,
मुस्कानें जिसपर मरती हैं,
सभी जिसको अपने प्यारे,
सुख सपने हैं जिसके न्यारे,
हठ के आगे दुनिया झुकती,
चिंता तो दो कोस दूर रूकती,
और क्रोध सदा हारा जिससे,
मीठी बातें और मीठे किस्से,
वन पुष्प सदृश्य खिला-खिला,
मन जिसको साफ़ पवित्र मिला,
बाधाएं न रोक सकीं जिसको,
स्वच्छंद हवा का इक झोंका है,
सबका बचपन,प्यारा होता है,
ये सबसे न्यारा होता होता है।
                           
              ( जयश्री वर्मा )

3 comments:

  1. ये बचपन, प्यारा होता है... bachpen pyara bachpen!!!

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  2. Ji haan Ashok ji , hum kitne bhi umradaraaz ho jaayen , bachpan ki madhur yaaden hamain apna pyaara bachpan yaad dilaati hi rahti hain !

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